नई दिल्ली। नौकरी के बदले जमीन घोटाले से संबंधित मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी की ओर से दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के पहलू पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई की। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत मामले में 20 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगी कि ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जाए या नहीं। ईडी की ओर से दायर पहले आरोपपत्र में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा हृदयानंद चौधरी, एके इंफोसिस्टम्स फर्म के प्रमोट कारोबारी और लालू यादव के करीबी अमित कात्याल को आरोपित बनाया गया है। इसके अलावा मामले में दो फर्म एके इंफोसिस्टम्स फर्म और एबी एक्सपोर्ट को भी आरोपित बनाया गया है। ईडी ने 4,751 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है। पिछली सुनवाई में ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष जैन ने कहा था कि आरोपित अमित कात्याल ने वर्ष 2006-07 में एके इन्फोसिस्टम नामक कंपनी का गठन किया था। कंपनी आइटी से जुड़ी हुई थी। जैन ने अदालत को बताया कि कंपनी ने वास्तविक रूप से कोई व्यापार नहीं किया बल्कि कई भूखंड खरीदे। इनमें से एक भूखंड नौकरी के बदले जमीन घोटाले से हासिल किया गया। इस कंपनी को 2014 में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम पर एक लाख रूपये में ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं, एबी एक्सपोर्ट कंपनी 1996 में एक्सपोर्ट का व्यापार करने के लिए गठित की गई थी। वर्ष 2007 में एबी एक्सपोर्ट कंपनी को पांच कंपनियों के पांच करोड़ रुपये मिले और न्यू फ्रेंड्स कालोनी में एक संपत्ति खरीदी गई। ईडी ने अदालत को बताया कि इस मामले में सात भूखंडों का मामला है। इनमें से राबड़ी देवी, हेमा यादव और मीसा भारती ने भूखंड हासिल किए, बाद में इन भूखड़ों को बेच दिया गया। ईडी ने अदालत को बताया कि मामले में केवल अमित कात्याल को गिरफ्तार किया है।