नई दिल्ली,। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब कानून का रूप ले चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार देर रात इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी, जिससे यह वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 बन गया। वक्फ विधेयक के खिलाफ पहले से ही अनेक नेताओं व मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया हुआ है। यहां विधेयक के विरोध में देश के अनेक हिस्सों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है।     
राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले विधेयक को संसद के दोनों सदनों में मैराथन बहस के बाद पारित किया गया। राज्यसभा में 13 घंटे की बहस के बाद इसे 128-95 मतों से पारित किया गया, जबकि लोकसभा में 12 घंटे चली लंबी चर्चा के बाद 288-232 के मतों से इसे मंजूरी मिली। वहीं दूसरी तरफ वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध शुरू हो गया है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में तीव्र विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली में भी मुस्लिम संगठनों ने सड़क पर उतरकर कानून के खिलाफ आवाज़ उठाई। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में काले बैज लगाकर विरोध जताने वाले 24 लोगों को प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन और कानूनी कार्रवाई की घोषणा की है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
विपक्षी दलों ने इस कानून को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और आप विधायकों का कहना है कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
सरकार की दलील
सरकार का कहना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के अधिक पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक था। हालांकि, आलोचकों का आरोप है कि सरकार इस कानून के माध्यम से धार्मिक अल्पसंख्यकों के मामलों में अनुचित हस्तक्षेप कर रही है। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और संभावित देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों पर हैं।