मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण योजना ने बदली पार्वती मिझी की ज़िंदगी : बेटियों के सपनों को मिली उड़ान

रायपुर : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के शांत और खूबसूरत गांव धमधा में सूरज तप रहा था और दोपहर के समय हर कोई अपने घरों में आराम कर रहा था, लेकिन 40 वर्षीय पार्वती मिझी और उनके पति काम में लगे हुए थे। पार्वती ने अपने सिर को दुपट्टे से ढका, अपनी कमीज को साड़ी के ऊपर से नीचे किया और काम जारी रखा। काम के बीच उन्होंने एक पल अपनी पांच बेटियों के बारे में सोचने के लिए निकाला। वे अच्छी लड़कियां हैं, उन्होंने सोचा, मुझे यकीन है कि वे अपना स्कूल का काम पूरा कर रही होंगी। यह सोचते ही उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई।
पार्वती ने खुद गरीबी में जीवन बिताया था और उन्हें कभी अवसर नहीं मिले, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को इस दलदल से बाहर निकालने का दृढ़ निश्चय कर रखा था। जब उनकी दो बड़ी बेटियों ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा अच्छे अंकों से पास की, तो पार्वती ने फैसला किया कि उन्हें न्याय मिलना ही चाहिए।
जब उन्हें पंचायत द्वारा समर्थित श्रम संसाधन केंद्र के बारे में पता चला, तो वह बिना देर किए संभावित वित्तीय सहायता योजनाओं के बारे में पूछताछ करने के लिए दौड़ पड़ीं। पार्वती और उनके पति ने तब राहत की सांस ली, जब उन्हें मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण योजना के बारे में जानकारी मिली। यह योजना पंजीकृत भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। पार्वती ने सारी आवश्यक जानकारी जुटाई और अपने पति के साथ मिलकर आवेदन की प्रक्रिया पूरी की।
पार्वती को वह खबर मिली जिसका उन्हें बेसब्री से इंतज़ार था - उनका आवेदन स्वीकृत हो गया था! उनकी बेटियों को वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए वित्तीय सहायता मिल गई थी। यह खबर सुनते ही उनके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ गई, क्योंकि अब उनकी बेटियों का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा था।
पार्वती की कहानी इस बात का सशक्त उदाहरण है कि कैसे सामाजिक संरक्षण तंत्र जीवन में परिवर्तनकारी प्रभाव डाल सकता है। यह गरीबी की बेड़ियों को तोड़कर एक आरामदायक और सार्थक जीवन सुनिश्चित करने में मदद करता है। यूएनडीपी जैसी संस्थाएं ऐसे सिस्टम डिजाइन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो जोखिमों और अनिश्चित भविष्य के प्रति संवेदनशील होते हैं, और भुगतान व योगदान को सुव्यवस्थित करने के लिए डिजिटलीकरण का लाभ उठाते हैं, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए। इन पहलुओं को मजबूत करके, ऐसे लचीले समाज विकसित किए जा सकते हैं जो चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करने में सक्षम हों।
पार्वती की कहानी इस बात पर जोर देती है कि किस प्रकार सामाजिक संरक्षण तंत्र परिवर्तनकारी प्रभाव सुनिश्चित कर सकता है, गरीबी की बेड़ियां तोड़ सकता है तथा आरामदायक और सार्थक जीवन सुनिश्चित कर सकता है।